Tuesday, September 27, 2022

दुनिया की यात्रा करने से पहले देश के पर्यटन स्थल घूम लीजिए

प्रविष्टि तिथि: 27th  September 2022 at 6:35 PM by PIB Delhi

 उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार 2018-19 प्रदान किए 


नई दिल्ली: 27 सितंबर 2022: (पीआईबी//इनपुट मन के रंग)::

यह बात बिलकुल एक हकीकत है कि पर्यटन केवल सैर सपाटा नहीं होता। इससे मन के रंग भी प्रभवित होते हैं। बहुत से स्थान हैं जहां जाने मात्र से ही मन की निराशा दूर होती है ,दिल की धड़कनें संतुलित होती हैं और दिमाग में छुपी चिंताएं भी दूर होती हैं। बहाना धार्मिक भी हो सकता है और शिक्षा या रोज़गार भी लेकिन प्रकृति के नज़दीक पहुंच कर निश्चय ही बहुत से लाभ मिलते हैं।  

पर्यटन और दुनिया की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भारत को 'पर्यटन के लिए स्वर्ग' कहा है। उन्होंने भारतीयों से विदेश घूमने से पहले देश के पर्यटन स्थलों को देखने के लिए कहा। भारत के सभ्यतागत इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जिक्र करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के अधिकांश पर्यटन स्थलों का हमारे इतिहास, लोक कलाओं और प्राचीन ग्रंथों से गहरा संबंध है। इनके नज़दीक पहुँच कर ही महसूस होता है मन के रंगों में सकारत्मक बदलाव। हमारे तन मन में सुप्त शक्तियों के जागने का अहसास। 

केवल तन मन नहीं अर्थ व्यवस्था भी सुधरती है। पर्यटन से आर्थिकता भी जुडी होती है कारोबार से बहुत से घरों परिवारों की आजीविका भी चलती है। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आज वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्रदान करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने पर्यटन को देश में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक प्रमुख वाहक बताया। जिन लोगों को इसी से रोज़गार मिलता है किसी समय हम उनकी सफलता से भरी कहानियां भी आप तक लाएंगे। 

इसके साथ ही आता सेहत और आरोग्य का संसार। पर्यटन के विविध आयामों का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में भारत की अपार संभावनाओं के साथ-साथ आयुर्वेद और योग जैसी चिकित्सा की हमारी प्राचीन पद्धतियों में बढ़ती वैश्विक रुचि का पूरी तरह से लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस मकसद के लिए अब तकनीकी विकास भी तेज़ी से हो रहा है। किस क्षेत्र में कब और कैसे जाना चाहिए इसका पता अब घर बैठे इंटरनेट से लगाया जा सकता है। टिकट बुकिंग और आवास बुकिंग जैसी सुविधाएं भी चलने से पहले ही सुनिश्चित हो जाती हैं। देश में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ 'देखो अपना देश' और 'उत्सव पोर्टल' जैसी नवीन पहल की गई है।

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कई गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों को सामने लाने के लिए पर्यटन और संस्कृति मंत्रालयों की प्रशंसा की। यह एक ऐसा कार्य है जिसकी अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन ब्योरे संभालना नामुमकिन जैसा था लेकिन इन मंत्रालयों से जुड़े लोगों ने यह सब भी किया है। 

इस क्षेत्र से जुड़े पुरस्कारों की बात भी ज़रूरी है। यात्रा और पर्यटन क्षेत्रों को प्रेरित करने में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों के महत्व की बात करते हुए, उपराष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को उनकी कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता के लिए बधाई दी। उन्होंने आज से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ प्रतिष्ठित सप्ताह मनाने के लिए पर्यटन मंत्रालय को भी बधाई दी। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने 'इंडिया टूरिज्म स्टैटिस्टिक्स 2022' और एक ई-बुक गो बियान्ड: उत्तर भारत के 75 अनुभव जारी किए

इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री अजय भट्ट, पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह, मंत्रालय में अपर सचिव श्री राकेश कुमार वर्मा, पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक श्री जी. कमला वर्धन राव समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

पूरा भाषण निम्नलिखित है:

'विश्व पर्यटन दिवस की बधाई!

वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कारों के अवसर पर आप सभी के बीच यहां उपस्थित होना सौभाग्य की बात है। यह उद्योग हितधारकों के प्रयासों को मान्यता देने और उनका सम्मान करने का अवसर है।

आज से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ प्रतिष्ठित सप्ताह मनाने के लिए पर्यटन मंत्रालय को बधाई।

आजादी का अमृत महोत्सव प्रेरक और उत्साहवर्धक माहौल तैयार कर रहा है। इन प्रयासों ने हमारी संस्कृति से प्रामाणिक रूप से जुड़ने के लिए दुर्लभ और बेहद जरूरी अवसर प्रदान किया है।

राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार समय के साथ यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों में उपलब्धियों की प्रतिष्ठित मान्यता के रूप में उभरा है। ये पुरस्कार इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।

यात्रा और पर्यटन दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक क्षेत्रों में से एक हैं, जो दुनियाभर में निर्यात और समृद्धि बढ़ाते हैं। भारत वास्तव में पर्यटन के लिए स्वर्ग है।

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को देखिए, (जिसमें देशभर में फैली विविध पारिस्थितिकी, भूभाग और प्राकृतिक सुंदरता शामिल है) पर्यटन में आर्थिक विकास और रोजगार के चालक के रूप में अद्भुत सामर्थ्य है।

हमारे आसपास की नई चीजों का पता लगाने, देखने और अनुभव करने की इच्छा एक सहज मानवीय गुण है। भारत एक प्राकृतिक गंतव्य है, जिसे प्रकृति ने भरपूर उपहार सौंपे हैं।

हममें से जो लोग दुनिया में घूमने के लिए जाते हैं, उन्हें पहले अपने देश के पर्यटन स्थलों को देखने की जरूरत है।

हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर ओडिशा के रेतीले समुद्र तटों तक, राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर सुंदरबन के डेल्टा क्षेत्रों तक, असम के चाय बागानों से लेकर केरल के बैकवाटर तक, ये सब रोमांचक और शानदार हैं।

भारत शायद अकेला ऐसा देश है, जहां एक ही यात्रा में कई जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।

हमारे सभ्यागत इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के चलते अधिकांश पर्यटन स्थलों का पौराणिक अतीत, लोक नृत्य रूपों और प्रांचीन ग्रंथों से गहरा नाता है।

मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अब चीता, रणथंभोर में बाघ और गिर के जंगलों में शेर देखे जा सकते हैं।

देश में पर्यटन के क्षेत्र के विकास के लिए सरकार 360 डिग्री का दृष्टिकोण अपना रही है।

पर्यटन के लिए बुनियादी ढांचे के व्यापक और अभिनव विकास के साथ-साथ रेल, सड़क और हवाई संपर्क को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे देश के सभी कोनों से पर्यटन स्थलों पर पहुंचना आसान हो।

देश की विविध संस्कृति, विरासत, स्थलों और पर्यटन उत्पादों को प्रदर्शित करने में मंत्रालय की शानदार पहल 'देखो अपना देश' सफल रही है।

पर्यटन क्षेत्र में रोजगार सृजन सरकार के प्रमुख एजेंडे में से एक है।

दि इनक्रेडिबल इंडिया टूरिस्ट फैसिलिटेटर (आईआईटीएफ)- सर्टिफिकेशन कार्यक्रम और देशभर में कार्यक्रमों, त्योहारों और लाइव दर्शन दिखाने के लिए मंत्रालय द्वारा शुरू की गई डिजिटल पहल ‘उत्सव पोर्टल’ शानदार है।

इंटरनेट कनेक्टिविटी और सोशल मीडिया के इस दौर में, वर्चुअल स्पेस भी पर्यटकों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में जबर्दस्त संभावनाएं हैं और हमें समग्र स्वास्थ्य की तलाश में आने वाले अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आयुर्वेद और योग जैसी चिकित्सा की हमारी प्राचीन पद्धतियों का पूरी तरह से लाभ उठाने की जरूरत है। इसमें पहले से ही लोग काफी दिलचस्पी ले रहे हैं।

पर्यटन उद्योग में सभी हितधारकों के लिए यह उचित होगा कि वे पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार और स्थायी पर्यटन प्रथाओं का पालन करें।

पर्यटकों को भी अपनी ओर से 'स्वच्छ भारत अभियान' को ध्यान में रखना चाहिए और ऐतिहासिक स्मारकों पर लिखने या उसे विकृत करने से बचना चाहिए।

पुरस्कार विजेताओं और इस तरह के प्रतिष्ठित आयोजन के लिए पर्यटन मंत्रालय को बधाई।'

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